गोरखनाथ का भैरव सिद्ध प्रयोग

गोरखनाथ का भैरव सिद्ध प्रयोग
ओ३म् काली कंकाली महाकाली के पुत्र ।
कंकाल भैरव हुक्म हाजिर रहे मेरा भेजा रक्षा करे।
आन बाँधू बान चलते फिरते के औसन बाँधू।
दशा सुर बाँधू नौ नाड़ी बहत्तर कोठा बाँधू ।
फल में भेजूँ फूल में जाय के।
डेंजी पढ़ पत्थर काँपे हल हल करे।
सिर सिर परे, उठ उठ भागे, बक बक करे।
मेरा भेजा सवा घड़ी पहले सब दिन सवा मास ।
सवा बरस का 'अमुक' को बावला न करे।
तो माता काली की शैया पर पग धरे ।
वाचा दुखे तो उमा ।
सुखें वाचा छोड़ कुवाचा करे घोल की नाद ।
चमार के कूड़े मेरा भेजा बावला न करे।
तो रुवा के नेत्र आँख की ज्वाला कढ़े।
सिर की जटा जूट भूमि पर गिरे ।
गिरे माता पार्वती के घोर पर चोट पड़े।
बिना हुक्म नहीं मारना ।
तो काली के पुत्र कंकाल भैरव ।
फुरो मंत्र गोरख सत्य नाम आदेश गुरु को ।

इस मंत्र को केवल सूर्य ग्रहण में और केवल गंगा के तट पर
ही सिद्ध करना चाहिये। तीन ओर से चौका लगाकर दक्षिण की ओर
करके बैठ जायें। इस मंत्र की २१ माला जपें। सामग्री और भोग
में बूँदी के लड्डू, लाल कनेर के फूल, थोड़ा सिन्दूर, फूलदार लवंग
का जोड़ा और एक चार मुखा दीपक प्रज्वलित कर लें, जाप के बाद
दशांश का हवन करें। हवन सामान्य सामग्री से ही करें जाप के मध्य
अगर भैरव प्रकट हो जाये तो उसके गले में फूल की माला डाल दें।
और भोग भेंट करें।
विशेष- एक व्यवहारिक तांत्रिक होने के नाते मैं आपको
परामर्श देता हूँ कि आप यह साधना किसी योग्य मार्ग निर्देशक के
सानिध्य में ही करें।
वशीकरण मंत्र
जंगल की योगिनी पाताल के नाग।
उठ गये मेरे वीर लाओ मेरे पास ।
जहाँ जहाँ जाये मेरे सहाई ।
तहाँ तहाँ आव कजभरी नजभरी ।
अन्तासों अगरी तक नफे एक फूँक ।
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा |
मेरे गुरु का वचन सांचा ।
जो न जाय वीर गुरु गोरखनाथ की दुहाई।
शुक्ल पक्ष के शानिवार पुष्प नक्षत्र में चौराहे की मिट्टी की पुतली
बनाकर उसके वक्ष पर साध्य स्त्री का नाम लिखें, इसके बाद उपरोक्त
मंत्र की दस माला जपें। इस प्रकार करने पर प्रबल वशीकरण होता है।

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