Bavan Veer mantra
The Bavan Veer mantra (often spelled 52 Veer mantra or Bawan Veer Shabar mantra) is a powerful and mystical invocation from the Shabar Tantra tradition, calling upon 52 divine warrior spirits associated with Lord Hanuman, Gorakhnath, and Kali. It is primarily used for protection, removal of obstacles, exorcism, and energy shielding. Meaning and OriginThe term Bavan Veer literally means “52 heroic warriors.” In Shabar and Nath traditions, it refers to 52 astral entities or warrior forces created or commanded by Hanuman and Bhairava to protect Dharma and devotees. The mantra belongs to the Shabar lineage (often attributed to Guru Gorakhnath’s teachings) and combines Vedic, Tantric, and folk mystic elements .Popular Bavan Veer Shabar Mantra One widely recited version of the mantra is given below (as preserved in traditional Shabar texts and oral transmission):
Mantra:
ॐ सत्यनाम आदेश गुरु को आदेश पावन पानी का।
नाँद अनाहद दुन्दुभी बाजे जहाँ बैठी जोगमाया साजे।
चौंसठ योगिनी बावन वीर बालक की हरे सब पीर।
आगे जात शीतला जानिये बंध बंध वारे जाये मसान।
भूत बंध - प्रेत बंध, छल बंध - छिद्र बंध।
सबको मारकर भस्मन्त, सत्यनाम आदेश गुरु को।
जय गुरुदेव॥
Purpose and EffectsProvides divine protection from spirits, black magic, or tantric attacks .Invokes the joint energy of 64 Yoginis and 52 Veers, harmonizing Shakti and Veer Bhairava energies .Strengthens spiritual willpower, fearlessness, and aura defense of the practitioner .Method of PracticeAccording to Shabar tradition:Best chanted at midnight or during Amavasya on a red asana before Hanuman or Bhairava image.Use a Rudraksha mala (108 beads) or copper coin for japa.Perform 108 or 1008 repetitions daily for 21 or 41 days for siddhi.Practice should be done under guru guidance since veer sadhanas can invoke strong astral energies .
Caution:- Bavan Veer Sadhana is considered highly potent and suitable only for trained practitioners familiar with Hanuman Upasana, Bhairava Sadhna, or Gorakhnath panth methods . It is not recommended for casual chanting without guru diksha.
बावन वीर सधना के चरण और पालन के नियम
बावन वीर साधना अत्यंत रहस्यमयी और शक्तिशाली *तांत्रिक साधना है जो मुख्यतः महाकाली, भैरव और हनुमान के अधीन 52 दिव्य वीर शक्तियों का आवाहन करती है। यह साधना साधक की रक्षा, शक्तिप्राप्ति, और तंत्र-सिद्धि के लिए की जाती है। इसे केवल गुरु के निर्देशन में, गुप्त स्थान पर ही करना चाहिए ।
### साधना के प्रमुख चरण
1. स्थान और समय का चयन
साधना के लिए *एकांत कमरा, श्मशान या नदी तट* सर्वोत्तम माना जाता है। दरअसल गुह्य रस्मों के कारण सार्वजनिक या पारिवारिक स्थानों पर इसका अभ्यास वर्जित है ।
- सर्वोत्तम काल: अमावस्या, काली चौदस या गुप्त नवरात्रि की रात्रि ।
- मुख दिशा: पूरब या उत्तर दिशा की ओर।
2. आसन और सामग्री की व्यवस्था
- आसन: काले ऊनी वस्त्र का या कुश का।
- वस्त्र: पूर्णतः काले अथवा भगवा रंग के।
- दीपक: सरसों के तेल का अखंड दीप।
- धूप: लोबान या गुग्गुल।
- भोग: बकरे की कलेजी या नारियल (सात्त्विक विधि में) ।
- मूर्ति या प्रतीक: महाकाली, भैरव, हनुमान के साथ 52 वीरों की छोटी पुतलियाँ रखी जाती हैं ।
3. मंत्र-जप प्रारंभ
- सिद्धि हेतु शाबर मंत्र का 1008 या सवा-लाख (1,25,000) बार जप किया जाता है ।
- जप में रुद्राक्ष माला का प्रयोग करें।
- जप निरंतर एक ही स्थान और एक ही समय पर करें।
4. साधना का प्रमुख मंत्र
प्रसिद्ध शाबर पंक्ति:
```
ॐ ह्रीं ह्रौं वीराय प्रत्यक्षं भव ह्रौं ह्रीं फट् ॥
```
यह मंत्र सीधे वीर को साक्षात रूप में बुलाने का होता है ।
5. साधना अवधि
पारंपरिक रूप से यह साधना 61 दिनों तक की जाती है। इस अवधि में साधक को पूर्ण एकांत, मौन और आत्म-नियंत्रण में रहना पड़ता है।
- समय में मुख किसी को दिखाना वर्जित।
- बाल, नाखून काटना, स्नान या दंतधावन करना मना है ।
- किसी से बातचीत, स्पर्श या बाहरी संपर्क भी निषिद्ध है।
6. सिद्धि का संकेत
वीर की उपस्थिति में साधक को तेज ध्वनि, सुगंध, या आकृति का आभास होता है। सिद्धि के बाद वीर साधक के चारों ओर रक्षा कवच बनाकर सदैव रहते हैं ।
### पालन करने योग्य नियम
-गुरु अनुशासन: बिना गुरु दीक्षा के साधना नहीं करनी चाहिए।
- ब्रह्मचर्य व पवित्रता: साधना काल में ब्रह्मचर्य और शारीरिक व मानसिक पवित्रता अनिवार्य है ।
- स्वच्छता: साधना स्थल पर किसी बाहरी वस्तु का प्रवेश न करें, जप के पहले स्नान-विधि करें और आसन शुद्ध रखें।
- सांविधानिक वस्त्र: केवल साधना के लिए नियत वस्त्र उपयोग में लाएँ; उन्हें अन्य कार्यों में न पहनें।
- वीर को प्रसन्न रखना: सिद्धि के बाद वीर को उनके प्रिय भोग (सरसों का तेल, मिठाई, लोबान इत्यादि) अर्पित करें, अन्यथा वे क्रोधित हो सकते हैं ।
निष्कर्षतः बावन वीर साधना साधक को अपार सुरक्षा, मनोबल, और असाधारण आध्यात्मिक शक्ति देती है, लेकिन यह साधना केवल योग्य गुरु-दर्शन और अनुशासन से ही सिद्ध हो सकती है।
बावन वीर साधना के लिए आवश्यक सामग्री और आयु सीमा
**बावन वीर साधना** तांत्रिक साधनाओं में अत्यंत ऊँचा स्थान रखती है, क्योंकि इसमें साधक को भैरव‑काली की उपासना के साथ 52 दिव्य वीर शक्तियों का आवाहन करना होता है। इस साधना के लिए विशेष सामग्री, विशिष्ट वातावरण और योग्य साधक का होना आवश्यक है ।
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### साधना के लिए आवश्यक सामग्री
1. आसन और वस्त्र
- काले ऊनी वस्त्र या कुश का आसन।
- वस्त्र पूर्णतः काले या भगवा रंग के; साधना काल में वही वस्त्र रोज़ उपयोग में रहें ।
2. पूजन सामग्री
- अखंड दीपक (सरसों के तेल का)
- लोबान, गुग्गुल या धूप
- तांबे या मिट्टी का पात्र जल हेतु
- लाल या काले फूल (विशेष पुष्प – डंठल सहित शमी, अपराजिता या कमल उपयुक्त)
- नैवेद्य या भोग – पुआ, हलवा या नारियल; कुछ परंपराओं में मावे के पुए ।
- काली या महाकाली की मूर्ति/चित्र
- 52 वीरों की *छोटी पुतलियाँ या प्रतीक‑प्रतिमाएँ* (यदि उपलब्ध हों तो)।
3. साधन उपकरण
- रुद्राक्ष माला या वीर यंत्र माला ।
- बीर कंगन या वीर यंत्र (यदि गुरु से सिद्ध करवाया गया हो) ।
- गोमुखी जप कवर, तिलक हेतु राख या भस्म, और काला वस्त्र रूमाल ।
4. साधना स्थान की व्यवस्था
- एकांत कमरा या श्मशान, जहाँ किसी का प्रवेश न हो ।
- दीपक लगातार प्रज्वलित रहे, वायु या स्पर्श से बुझना नहीं चाहिए ।
- शौच, दंतधावन, बाल‑नाखून काटना, वस्त्र धोना या नया वस्त्र पहनना साधना काल में वर्जित है ।
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### आयु सीमा और पात्रता
1. न्यूनतम आयु: 21 वर्ष या उससे अधिक।
तांत्रिक ग्रंथों में कहा गया है कि 20 वर्ष से कम आयु वाले व्यक्ति के *मन और प्राणबल* इस साधना के लिए पर्याप्त स्थिर नहीं होते ।
2. शारीरिक और मानसिक स्थिति:
- मानसिक रूप से दृढ़ और भय‑नियंत्रित साधक ही पात्र होता है।
- बीमारी, अवसाद या अस्थिर मन वाले व्यक्तियों को यह साधना नहीं करनी चाहिए।
3. लिंग और व्रत‑नियम:
- स्त्रियाँ प्रातःकालीन या रजः‑कर्म अवधि में इसे नहीं कर सकतीं; साधना काल ब्रह्मचर्य‑पालन में रहना आवश्यक है।
- वीर साधना केवल गुरु‑दीक्षित और नियम‑पालक साधकों के लिए ही मान्य है ।
सारतः, बावन वीर साधना के लिए भैरव‑काली की मूर्ति, 52 वीर प्रतीक, काले वस्त्र, सरसों के तेल का दीप, लोबान‑गुग्गुल, पुए‑नारियल का भोग, और रुद्राक्ष माला अनिवार्य मानी गई है। साधक की आयु न्यूनतम 21 वर्ष, तन‑मन से स्थिर और गुरु‑दीक्षित होना चाहिए।
बावन वीर मंत्र के लाभ, सावधानियाँ और विरोधाभास
बावन वीर मंत्र अत्यंत शक्तिशाली तांत्रिक मंत्र है, जिसके नियमित और विधिपूर्वक जाप से कई आध्यात्मिक तथा सांसारिक लाभ होते हैं, पर इसके साथ कुछ सावधानियाँ और विरोधाभास भी जुड़े हैं जिन्हें समझना अत्यंत आवश्यक है।
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### बावन वीर मंत्र के लाभ
- सुरक्षा और संरक्षण: यह मंत्र नकारात्मक शक्तियों, भूत-प्रेत, काला जादू और राक्षसी प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह साधक के चारों ओर एक प्रभावशाली रक्षा कवच बनाता है।
- शक्ति और साहस: मंत्र जाप से साधक में वीरता, मनोबल, और आत्मविश्वास का विकास होता है, भय और मानसिक कमजोरी दूर होती है।
- तांत्रिक सिद्धि: बावन वीरों की उपासना से तांत्रिक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे ही खतरे, बाधाओं और शत्रुओं का अंत होता है।
- धार्मिक एवं आध्यात्मिक लाभ: यह मंत्र साधक को गहन आध्यात्मिक अनुभव, ध्यान की गहराई, और गुरु ऊर्जा का संचार प्रदान करता है।
- संकट मोचन: संकट, रोग, आर्थिक समस्याएं और पारिवारिक कलह दूर करने में मददगार माना जाता है।
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### सावधानियाँ
- गुरु-दीक्षा आवश्यक: बिना गुरु के दीक्षा के इस मंत्र को जपना या साधना करना अत्यंत जोखिमपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह मंत्र तीव्र एवं प्रचंड शक्तियों को जागृत करता है।
- नियमों का कठोर पालन: साधना में शिव, भैरव, काली एवं योगिनी तंत्र के नियमों का पालन आवश्यक है, जैसे ब्रह्मचर्य, समय का चयन, शुद्ध स्थान, और नियमित जप। इसमें कोताही घातक परिणाम उत्पन्न कर सकती है।
- भाग्य और मानसिक स्थिति: साधक का मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर इस मंत्र की ऊर्जा को संभालने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। अस्थिर या भयभीत व्यक्ति के लिए यह साधना अनुचित हो सकती है।
- साधना का समय एवं अवधि: मंत्र जप व साधना अमावस्या, संध्याकाल जैसे उचित समय में करें; अत्यधिक या अनियमित जप से भी डरावने प्रभाव हो सकते हैं।
### विरोधाभास और प्रतिबंध
- सामाजिक दृष्टि से: यह मंत्र, साधना एवं साधनाएं अक्सर रहस्यमय और गुप्त होती हैं, इसलिए उन्हें सार्वजनिक रूप से साझा या जपना पारंपरिक समाज में अच्छे नहीं समझे जाते।
- अनुभवहीन साधकों के लिए हानिकारक: बिना उचित ज्ञान, अनुशासन और गुरु मार्गदर्शन के इसका अभ्यास मानसिक विक्षोभ, शारीरिक थकावट या नकारात्मक प्रभावों को जन्म दे सकता है।
- अन्य साधनाओं के साथ विरोध: कुछ पारंपरिक वैदिक या सांस्कृतिक पद्धतियों में इसे टालने की सलाह होती है क्योंकि यह तांत्रिक शक्तियों का आवाहन करता है जो पारंपरिक धार्मिक दृष्टिकोण से भिन्न होता है।
- आध्यात्मिक श्रेष्ठता: इसे नित्य और विधिपूर्वक जपना चाहिए, अन्यथा यह मंतर पिछड़ा प्रभाव या विघ्न उत्पन्न कर सकता है।
### सारांश
बावन वीर मंत्र के गहन लाभ और शक्तियां हैं, किन्तु इसे केवल योग्य गुरु की दीक्षा के बाद, अनुशासन और सतर्कता के साथ साधना करनी चाहिए। नियमों का उल्लंघन या अनुचित साधना हानिकारक प्रभाव दे सकती है। इसलिए संतुलित एवं निरंतर अभ्यास इस मंत्र की ऊर्जा का सही उपयोग सुनिश्चित करता है।
यदि आवश्यक हो तो बावन वीर साधना के लिए विस्तृत नियम, जप संख्या, और गुरु के दिशा-निर्देश भी उपलब्ध करवाए जा सकते हैं।
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