तांत्रिक रहस्यमयी मंत्र & कामाख्या सिद्धि और कामाख्या तन्त्र

तांत्रिक रहस्यमयी मंत्र
1. मंत्र:
ॐ क्लीं ठं छं दुर्गंधाय नमः ।
अर्थ: जो शत्रु दुर्गंध की तरह जीवन में फैल गया
हो, वह इस मंत्र से विलीन हो जाए।
2. मंत्र:
ॐ ह्लीं ह्लीं कालचक्राय घूर्णाय घूर्णाय स्वाहा ।
अर्थ: हे कालचक्र के स्वामी, तू मेरे शत्रु के चित्त
को घुमा, भ्रमित कर, उसे मुझसे दूर कर ।
3. मंत्र:
ॐ नमो भूतनाथाय, मृत्युवश्याय स्वाहा।
अर्थ: मैं उन शक्तियों को नमन करता हूँ जो मृत्यु
तक को वश में कर सकती हैं; वे ही मेरे शत्रु को
नियंत्रित करें।
4. मंत्र:
ॐ नमः छिन्नमस्तिकाय च रक्तपायी देवाय
नमः ।
अर्थ: मैं उस उग्र देवता को नमन करता हूँ जो
विकरालता में रक्त पान करता है; वह मेरे मार्ग
के कंटकों को समाप्त करें |
5. ॐ फट् फट् घोररूपिण्यै कालीकायै नमः ।
अर्थ : हे घोर रूप वाली काली, तू अपने विकराल
रूप से मेरे शत्रुओं का नाश कर ।
6. मंत्र:
ॐ अष्टभुजाय रौद्राय शत्रुहन्त्रे स्वाहा ।
अर्थ: आठ भुजाओं वाले रौद्र रूप से मेरे शत्रुओं
का संहार करें।
7. मंत्र:
ॐ क्रीं क्रीं हनुमते नमः, शत्रुनाशनाय हुं फट्।
अर्थ: हे हनुमान, तुमसे बड़ा कोई वीर नहीं, तुम
ही शत्रु का नाश करो।
8. मंत्र:
ॐ कालभैरवाय कपालमालिनी देव्यै नमः ।
अर्थ: जो कपालों की माला पहनती हैं, उन रौद्र
देवियों को प्रणाम, वे ही मेरे दुश्मनों को त्रस्त
करें।
9. मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
अर्थ: चामुण्डा देवी का यह बीज मंत्र मेरी रक्षा
करे और शत्रुओं को सत्वहीन कर दे।
10. मंत्र:
ॐ वज्रनखाय विद्महे, तीक्ष्णदंष्ट्राय धीमहि,
तन्नो नरसिंहः प्रचोदयात्।

अर्थ: नरसिंह देव अपने वज्र नखों से मेरे
विरोधियों का हृदय चीर दें।
11. मंत्र:
ॐ हुं हुं वटुक भैरवाय नमः ।
अर्थ: वटुक भैरव के हुंकार से शत्रु भयभीत हो
जाएं और भाग खड़े हों।
12. मंत्र:
ॐ शत्रुनाशनाय चंडिकायै नमः ।
अर्थ: चंडिका देवी मेरे हर शत्रु को पंगु और
निर्बल बना दे।
13. मंत्र:
ॐ खफट खफट विकटाय नमः ।
अर्थ : हे विकट रूप धारी, तू ही अपने उग्र रूप से
मेरे संकटों को जला।
14. मंत्र:
ॐ दुं दुं दुर्गायै नमः ।
अर्थ: दुर्गा माता की दुं ध्वनि से शत्रु भयभीत हो
जाएं।
15. मंत्र:
ॐ त्रिनेत्राय नमः, शत्रुचक्षु नाशाय स्वाहा ।
अर्थ: तीन नेत्रों वाले देवता, शत्रु की दृष्टि को
जला दें।
16. मंत्र:
ॐ रुद्राय प्रचण्डाय शत्रुक्षयाय नमः।
अर्थ: हे प्रचंड रुद्र, तू शत्रु को क्षय कर ।
17. मंत्र:
ॐ भूर्भुवः स्वः शत्रुं खलु विनाशय विनाशय
स्वाहा।
अर्थ: हे त्रिलोकी के स्वामी, दुष्ट शत्रु को संपूर्ण
रूप से नष्ट कर।
18. मंत्र:
ॐ कालाग्निरुद्राय नमः ।
अर्थ: कालाग्नि स्वरूप रुद्र ही शत्रुओं को भस्म
करें।
19. मंत्र:
ॐ श्मशानवासिने भैरवाय नमः ।
अर्थ: जो श्मशान में रहते हैं, वे भैरव मेरे लिए
शत्रुनाश करें।
20. मंत्र:
ॐ तामसाय तेजसे नमः ।
अर्थ: अंधकार में छिपी शक्ति, तू मेरे मार्ग से
अंधकार को हटा और शत्रुओं को हर ।
पंचांगुली साधना मंत्र:
*
मंत्र: ऊं ठं ठं ठं पंचांगलि भूत भविष्यं दर्शय
ठं. ठं ठं स्वाहा ।
विधि: पंडितों के अनुसार, इस मंत्र का जाप
सात दिनों तक हर दिन एक माला किया जाता
है और इसे पूरी श्रद्धा के साथ करना जरूरी
है। इस साधना से भविष्य दिखने लगता है,
ऐसा माना जाता है।

★ कामाख्या सिद्धि और कामाख्या तन्त्र ★
दीपमालिका की रात्रि में आसन बाँध चौका लगाए धूपदीप नैवेद्य धर
१२१ बार मन्त्र पढ़ दीप शिखा पर मारे। जब प्रयोग करना हो तब काले कुत्ते
के रक्त उड़द और चिता भस्म मिलकर तीन बार मन्त्र पढ़कर शत्रु को मारे ।
शत्रु को दुख देने का मन्त्र
ॐ नमः कामाक्षये अमुकस्य हन हन स्वाहा। सोमवार या मंगलवार
को श्मशान की धूल लेकर राई और आक का काष्ठ लेकर बीस मन्त्र
पढ़ हवन करें तो बैरी दुख पाए ।
शत्रु को कष्ट देने का मन्त्र
ॐ नमः हनुमन्त बलवनत मातु अंजनी पुत्र हल हलन्त अबी
चढ़न्त गढ़ मिला तोड़न आवो लंका जाल बाल भस्मन्त करि आवो लेई
गा लगूर तेल पटाय सुमिर ते पटका ऐ चन्दरी चन्द्रवली भवानी मिली
गावे मंगचार विजई रामलषन हनुमान जी आओ तुम आओ सात पान
का बीड़ा लगाय चाभो माथे सिन्दूर चढ़ाओ । मन्दोदरी के सिंहासने
हीलत डोलन आओ यहाँ आओ हनुमन्त माया न सिंह नाया आगे मैरूँ
किल किलाय ऊपर हनुमंत गाजे दुर्जन को डाट दुष्ट को मार करो
संहार राजा हमारे समगुरु फुरो ईश्वरो वाचा |
प्रथम १०,००० मन्त्र जपकर ४० या २१ दिन में पूरा करें। षटक्रमानुसार
सब विधि करें, पहले दिन सात पान के बीड़े व पेड़े का भोग रखे। तब दूसरे
दिन एक बीड़ा सात बताशे और धूप दीप पुष्प आदि से हनुमानजी का पूजन
कर सिन्दूर चढाएँ तो सिद्ध होए । प्रत्येक कार्य में भूमि पर शत्रु की मूर्ति
(पुतला बनाए। जहाँ तहाँ बीज लिखके हृदय नाम लिखे और मुरदे की
हाड़ छाती में ठोंक पुतले को मसान भूमि में गाड़े फिर मुर्दे के भस्म से विवश
हो बीमार हो जाए, यदि व न उखाड़ा जाए तो दुश्मन पर हजारों आपत्ति आए
और अन्त में मर जाए। ध्यान रहे कि जो कोई कर्म करें हर समय मन्त्र पढ़ता
जाए और इस मन्त्र को पढ़ के लोहे की कीलों को दुश्मन के घर के चारों
कोने में गाड़ दिया जाए तो स्तम्भन हो ।

Comments

Popular posts from this blog

Yakshinis & Chetakas

Yogamaya Maha Mohini Sadhana Vidhi

लक्ष्मी कुबेर साधना